उत्तर भारत की पहली रोबोटिक एंजियोप्लास्टी जयपुर में शुरू



जयपुर। राजधानी के चर्चित राजस्थान हॉस्पिटल में रोबोटिक एंजियोप्लास्टी शुरू कर दी गई है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने राजस्थान हॉस्पिटल में इस नई तकनीक का उद्घाटन किया और प्रबंधन को बधाई दी। आरएचएल हार्ट सेंटर के अध्यक्ष और वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रविंदर सिंह राव के मुताबिक रोबोटिक एंजियोप्लास्टी हृदय रोग चिकित्सा में सफलता का प्रतिशत यानी एक्यूरेसी सर्वाधिक होती है। यह उम्दा और उन्नत चिकित्सा का ताजा स्वरूप है।


डॉ राव के मुताबिक कोरोनरी धमनी के मुख्य हिस्सों में रुकावट, जटिल रुकावट या शुरूआत में रुकावट को महत्त्वपूर्ण रुकावट माना जाता है। एक अंतर्राष्ट्रीय रीसर्च के अनुसार एसटीएलएलआर परीक्षण के अनुसार लगभग पचास प्रतिशत स्टेंट परफेक्शन से नहीं लग पाते हैं। परिणामस्वरूप लोंजीट्यूडनल जियोग्राफिकल मिस होती है। जिसका सीधा सा अर्थ है कि ब्लॉकेज के कुछ हिस्से या तो शुरुआत में या अंत में छूट जाते हैं। यदि स्टेंट को सही स्थित में नहीं रखा गया है, तो इस बात की दो से तीन गुणा संभावना बन जाती है कि रोगी को निकट भविष्य में दोबारा एंजीयोप्लास्टी की जरूरत पड़ेगी।

इस नई और उन्नत सेवा के अवसर पर डॉ. रविंदर राव ने बताया कि आरएचएल हार्ट सेंटर पर 500 से ज्यादा एंजियोप्लास्टी और 65 से ज्यादा ट्रांस एओरटिक वाल्व रिप्लेसमेंट किए जा चुके हैं। जिसमें जटिल एंजियोप्लास्टी की दर 99.4 प्रतिशत और ट्रांस एओरटिक जो कि ओपन हार्ट सर्जरी के बिना की जाती है उसमें हमारी सफलता की दर 100 प्रतिशत रही है।
Share on Google Plus

Health TV - Health & Fitness Channel.

1 comments: