डॉ. अर्चना की आत्महत्या से पूरा चिकित्सा जगत शोक में, गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग


दौसा/जयपुर। चिकित्सक को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। सब सब्र के बांध टूट जाते हैं, सांसे थमने को होती हैं और हम बेबस हो जाते हैं, तो डॉक्टर ही होते हैं, जो हमें जीवनदान देते हैं। हमारे लिए दिन-रात एक कर देते हैं, बिना हारे, बिना थके। लेकिन दौसा की चर्चित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना शर्मा पर कुछ लोगों ने ऐसा राजनीतिक दबाव बनाया कि उन्होंने सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड नोट में डॉ. अर्चना की राजनीतिक दबाव बनाने वालों के आगे बेबसी, साफ झलक रही है। दो छोटे बच्चे और हंस्ता-खेलता परिवार छोड़कर हमेशा के लिए डॉ. अर्चना तो चली गई हैं, लेकिन हमारे सामाजिक ढर्रे में एक शिक्षित महिला की बेबसी को जाहिर कर गई हैं। आज डॉ. अर्चना के इस मामले को लेकर पूरे प्रदेश में डॉक्टर्स ने ओपीडी बंद रखा और अपना विरोध जताया। लेकिन इस विरोध के सही मायने तो तब जाहिर होंगे, जब गुनेहगारों को सजा मिलेगी। ऐसे कौन लोग थे, जिन्होंन डॉ. अर्चना की पेशेंट की मौत के बाद लाश पर राजनीति की और डॉ. अर्चना को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया। यहां राज्य सरकार को न केवल उन छुटभैया नेताओं के खिलाफ एक्शन लेने की जरूरत है, बल्कि उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सख्ती दिखाने की जरूरत है, जिन्होंने इलाज के दौरान प्रसूता की मौत के बाद डॉ. अर्चना पर आईपीसी की धारा 302 लगाई। जबकि इलाज के दौरान मौत लापरवाही से भी हो जाती है, तो धारा 304 ए लगाई जाती है और उसी के तरत जांच होती है।

हम हैल्थ टीवी की पूरी टीम डॉ. अर्चना के पूरे परिवार से सहानुभूति रखते हुए सरकार से अपील करते हैं कि जल्द से जल्द गुनहगारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो ताकि चिकित्सा जगत के प्रोफेशल्स, डॉक्टर्स आदि को सुरक्षा की गांरटी दी जा सके। यही डॉ. अर्चना को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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1 comments:

  1. बहुत ही दुःखद समाचार है।
    ऐसा नहीं होना चाहिए था।

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